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क्या सीन है!
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा...! -इक़बाल
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दिसंबर 14, 2020
'टाइम' खराब नहीं, सच की तरह कड़वा है बस!
जुलाई 25, 2014
इतने अरसा बाद अपने पेज़ पर लौटना!
जुलाई 25, 2014
फ़रवरी 15, 2012
Lamhon Ke Jharokhe Se...: मेरा कुछ सामान....!
सितंबर 06, 2011
ऐसे में काहे का पत्रकार!
दिसंबर 23, 2010
लहसुन को भूल गए कार-ओ-बारी
दिसंबर 23, 2010
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नवंबर 26, 2010
भला कोई देता है जूते से श्रद्धांजलि!
नवंबर 15, 2010
मियां, भलाई अब 'भज्जी' को भजने में है
नवंबर 05, 2010
संभालना अपने अपने दीये
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