Lamhon Ke Jharokhe Se...: मेरा कुछ सामान....!
Lamhon Ke Jharokhe Se...: मेरा कुछ सामान....!
टाइटिल से ज्यादा कुछ कहना नहीं चाहूंगा आपकी रचना के बारे में....पहली बार है इसलिए, लेकिन ये जोड़ना जरूर चाहूंगा अंदाज-ए-बयां ऐसा है जो गुजरे लम्हों को जिंदा कर देता है- हू ब हू वैसे ही जैसे अभी अभी किचन में 'डांट' पड़ी हो...
टाइटिल से ज्यादा कुछ कहना नहीं चाहूंगा आपकी रचना के बारे में....पहली बार है इसलिए, लेकिन ये जोड़ना जरूर चाहूंगा अंदाज-ए-बयां ऐसा है जो गुजरे लम्हों को जिंदा कर देता है- हू ब हू वैसे ही जैसे अभी अभी किचन में 'डांट' पड़ी हो...
टिप्पणियाँ
लिंक जोड़ने का फैसला इसीलिए किया....
बहरहाल ये जान कर बहुत अच्छा लगा कि आपको हमारा ये लेख इतना पसंद आया की आपने उसे अपने ब्लॉग पर जगह दी... इस इज्ज़त अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया विनोद जी...