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सच का पत्ता कभी सड़ता नहीं... मौसम की मार जितनी पड़े कीड़े मकोड़ों का हमला जितना हो जब तक साबूत रहती हैं टहनियां वो पीला पड़ जाता है, मगर टूटता नहीं ईश्वर का सच उसे भी देता है आक्सीजन अपने हिस्से की धूप में वो और चमकता है लड़ता है आखिरी सांस तक तमाम थपेड़ों से वो सड़ कर गिरता नहीं, साबूत खड़ा रहता है! #दलान_बाग

हाल ही की पोस्ट

किसान, आंदोलन और भूख का सत्य...!

'टाइम' खराब नहीं, सच की तरह कड़वा है बस!

इतने अरसा बाद अपने पेज़ पर लौटना!

Lamhon Ke Jharokhe Se...: मेरा कुछ सामान....!

ऐसे में काहे का पत्रकार!

लहसुन को भूल गए कार-ओ-बारी

लहसुन को भूल गए कार-ओ-बारी

लहसुन को भूल गए कार-ओ-बारी

भला कोई देता है जूते से श्रद्धांजलि!