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लहसुन को भूल गए कार-ओ-बारी

लहसुन को भूल गए कार-ओ-बारी

लहसुन को भूल गए कार-ओ-बारी

भला कोई देता है जूते से श्रद्धांजलि!

मियां, भलाई अब 'भज्जी' को भजने में है

संभालना अपने अपने दीये

दिन का दुखड़ा सुनो

और क्या करूं, तुम्हारे लिए अयोध्या भी बन गया!

तपिश में बारिशों के अरमान

नई-पुरानी के बीच 'सेकेंडहैंड' सोच

न्यूज रुम के महामूर्ख मच्छर!

बड़ा सख्त आदेश है!

'औऱतों' के लिए 'पुरुष' की एक कविता

आरक्षण का आचार डालेगी कलावती!

हमें नहीं चाहिए ऐसा 'हुसैन'!

मर गया तक्षक

कान पकड़िए, 'बाबा' के भक्त नहीं बनेंगे

मंदी में महंगाई के मारे

मेरी जानिब मैं

रूह से रू-ब-रू एक हिंसक सवाल

और पड़ो 'ठाकरों' के पीछे!

ठाकरेगर्दी- गुंडों की डिक्शनरी में नया शब्द

एक गुजरा हुआ, एक जूठा सा लम्हा...

और भी कुछ कहता है ठाकरे का 'काला झंडा'

एक बयान बॉलीवुड के खिलाफ

इतना गहरा गीत...

ये मेरे दद्दा का आपीएल है

ज्योति दा, जवाब भी तो देते जाते!