संदेश

भला कोई देता है जूते से श्रद्धांजलि!

मियां, भलाई अब 'भज्जी' को भजने में है

संभालना अपने अपने दीये

दिन का दुखड़ा सुनो

और क्या करूं, तुम्हारे लिए अयोध्या भी बन गया!

तपिश में बारिशों के अरमान

नई-पुरानी के बीच 'सेकेंडहैंड' सोच

न्यूज रुम के महामूर्ख मच्छर!

बड़ा सख्त आदेश है!

'औऱतों' के लिए 'पुरुष' की एक कविता