संदेश

बस, यूं ही जलती रहे ये लौ!

लो, तुम्हें बेदखल किया...!

सलाम है!

शून्य का संवाद

अपनी उदासी तोड़ो वत्स!

सुलगती हुई शाम के कोलाहल में...

क्या विनोद जी, मरवा के ही दम लेंगे!

'महुआ' का मतलब

टीज मी, डोंट टीज मी, डोंट टीज मी शोणिए...

सुन लो 8 से डरने वालों

एक बार फिर मरी आरुषि!