सलाम है!

सपूतों,
नाज है तुम पर पूरे वतन को
गुमान है हमें तुम्हारे हुंकार पर
दुश्मनों का दिल दहला देने वाली धमक पर
तुम्हारे तड़तड़ाते कदमों की ताल पर
ये देखकर सुकून से भर जाता है जी
जब एक लय में बढ़ता है तुम्हारा काफिला
एक लिबास, एक मिशन
न कोई जाति, न कोई मजहब
निशाने पर होता है देश का दुश्मन
वो दहशतगर्द जो इंसान की शक्ल में
कम नहीं होता किसी हैवान से।
औरों के पीछे लग जाए मेरी भी दुआ
तुम्हारे फौलादी सीने को
पथ्थर से तुम्हारे इरादे को
चीते सी तु्म्हारी फूर्ती को
दुश्मनों का हौसला तोड़ देने वाले उस जज्बे को
जो तुम्हें परवाह नहीं करने देता अपनी जान की भी
उस मां को जिसकी गोद सूनी छोड़ तुम जुट जाते हो जंग में
उस पिता को जो
तुम्हारे पांव छूने के बदले करता है सैल्यूट- चुपके से!
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