देखिए और बूझिए...


पहेली नहीं है कोई जनाब, सीन है, दो तस्वीरों का एक सीन. रचने वाले ने फिलॉसफी बड़ी अच्छी दी है- तस्वीरें बोलती हैं, और जब ये बोलती हैं, तो बंदे का चुप रहना ही बेहतर है. और इन दो चित्रों में तो और भी क्योंकि इनके किरदार बेहद साफ(फेमस) हैं. आखिर अमिताभ जी, अमर जी, जया जी, अभिषेक और ऐश को कौन नहीं जानता. मगर...

मगर, इन चित्रों में मौजूद ये 'मगर' तमाम किरदारों से बड़ा है- जिस तरह पूजा पर बैठे अभिषेख अमर सिंह जी की तरफ देख रहे हैं, और जिस तरह अमर सिंह जी के बगल में खड़ी जया जी 'सोचनीय' मुद्रा में खड़ी हैं. तो हम भी चुप ही हो लेते हैं, लेकिन उससे पहले संक्षिप्त भूमिका- एक तस्वीर तब की है जब ऐश के नाम पर बाराबंकी में कॉलेज खुला, और दूसरा एक अवार्ड फंक्शन, और ये दोनों ही तस्वीरें अलग अलग मौकों पर अलग अलग अखबारों में छप चुकी हैं. इंटरेस्टिंग लगीं हमें बस इसमें यही नई बात है. जिन्होंने भी इन्हें क्लिक क्या, बड़ा 'डिसाइसिव मोमेंट' कैप्चर किया है. तो बस देखिए और बूझिए...!

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