संभालना अपने अपने दीये



माथे पर सजाकर
रौशनी की टोकरी
फिर से आया है दीया
अंधेरे से दो-दो हाथ करने
अपने दिल में जलाए
उम्मीदों का उजाला
हुंकार भरेगा अंधेरा
हाहाकार मचाएगा
दीये को डराएगा
बुझ जाने का डर दिखाएगा
देखिगा
कहीं कम न पड़ जाए
दीये का हौसला
गिर न जाए उसके माथे से
रौशनी की टोकरी
सुबह सूरज आएगा
तो सब संभाल लेगा

टिप्पणियाँ

vandana gupta ने कहा…
बेहतरीन अभिव्यक्ति।
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
S.M.Masoom ने कहा…
दीयों के इस पर्व दीपावली की आप को हार्दिक शुभकामनाएं
ये दीप पर्व आपके और आपके परिजनों के जीवन को खुशियों के प्रकाश से भर कर दे

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