कब आएगा ओबामा**?


हर कोई चाहता है ओबामा को!
करिश्मा तो ये कि दुश्मन भी दाद देते हैं उसकी बुलंद आवाज पर, अपनी खामोशी से। वो नफरत में चुप रहकर भी उसे चाह रहे होते हैं। दुश्मन ओबामा के निजी हों या न हों, इनकी लिस्ट अमेरिका के दुश्मनों की फेहरिस्त के हिसाब से काफी लंबी है, लेकिन कितना बेपरवाह दिखता है ये ओबामा।


ये आदमी या जादू- जब कहता है कि ’जिस बाप की मैं औलाद हूं, 60 साल पहले के समाज में किसी रेस्तरां तक में नौकरी की नहीं सोच सकता था, आज राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहा हूं.’ तो रोम रोम भर उठता है उम्मीदों से. वो जो भी कहता है जाने क्यों सच लगता है.

ये सबकुछ घट रहा है सात समुंदर पार अमेरिका में, लेकिन भारत में सबके सिर चढ़ कर बोल रहा है ओबामा. अखबारों के कस्बाई एडीशन का भी ‘बैनर हेड’ बन रहा है ओबामा. इंडियन टेलिविजन पर जिस तरह छाया रहा ये शख्स- सेंट जॉर्ज चर्च की प्रार्थना से लेकर व्हाइट हाउस की यात्रा और लिमोजिन कार में बुश के साथ कैपिटॉल हिल के शपथग्रहण समारोहत तक सफर- न्यूज चैनलों से पल भर के लिए नहीं हटा लाइव बैंड. यहां तक ओबामा की शान में अपना हाल भुला बैठे भारतीय चैनल- हर बुलेटिन की हेडलाइन्स समर्पित की गई अमेरिकन प्रेसिडेंट की सेरेमनी को. लग रहा था अमेरिका भी इंडिया का कोई गांव है. कितना अच्छा होता अगर ऐसा होता. ओबामा को हाथ बढ़ा कर छू लेते. टीवी की खबरों से ऐसी आत्मीयता, ऐसी नजदीकी छलक रही थी- लग रहा था- ये तो रहा ओबामा- अपनी प्यारी पत्नी और दुलारी बेटियों के साथ नाचता-गाता-झूमता- ये रहा ओबामा.

हो न हो, हम भारतीयों के अवचेतन में दबी अधूरी इच्छा को हवा दे रहा है ये ओबामा। हमारी अपनी जमीन पर किसी करिश्मे की कल्पना के बीज बो रहा है ओबामा. बिडंबना ये कि इस बीज की लहलहाती फसल देख चुके हैं, हम गांधी को पैदा कर चुके हैं, अंबेदकर को आसमान पर बिठा चुके हैं, इस बीज से महामानवों की कई बेमिसाल मिसालें खड़ी कर चुके हैं, लेकिन आज तरस रहे हैं एक ओबामा को- जो आएगा और जात-पात-छुआ-छूत-दंगा-फसाद-वर्ग-विभेद को मात्र एक अभियान में खत्म कर देगा. मक्कार-धिक्कार नेताओं के चंदा-धंधा-दलाली-घूसखोरी आधारित तोंदबढ़ाऊ बिजनेस को दरकिनार कर देगा. लेकिन इस खयाल पर दूर दूर तक नहीं दिखता कोई ओबामा.



काश, अफ्रीका ने गांधी के बदले हमें दिया होता ओबामा। फिर हम अपनी ही फसल के सपने तो नहीं देख रहे होते- माया, मुलायम, लालू मोदी, ठाकरे, फर्नांडिस, जेटली, सिंह, चौधरी, अंसारी जैसे असंख्य ‘बहुबाचको’ का ‘पछाड़’ ताकने को मजबूर तो नहीं होते


**स्वैहिली भाषा में ओबामा का मतलब होता है-जिसे आशीर्वाद हासिल हो यानी 'ब्लेस्ड'

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