आसक्त कहीं का...



कई बार डूबता है

एक डुबकी के बाद

पकड़ने की कोशिश करता है

पानी के अंदर उठ रहे बुलबुलों को

डरता है कि कहीं सतह पर जाकर शोर न कर दें

वो पानी के अंदर बुलबुले पकड़ रहा है.

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
bhut khub likhate rhe.aap apna word verification hata le taki humko tipani dene mei aasani ho.
Udan Tashtari ने कहा…
बड़ी गहरी रचना है.

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